Monthly Archives: March 2017

दोषी आप और हम

नौकरी के लिए साक्षात्कार: उम्मीदवार की डिग्री, उम्मीदवार कितने प्रतिशत अंक ले कर उत्तीर्ण हुआ, फिर बैकग्राउंड चेक, इन सब में अगर पास हो गए तो नौकरी मिलने की आशा है. राजनेता की नियुक्ति में न तो कोई शिक्षा की अनिवार्यता और यदि आपको सजा नहीं हुई है तो चलता है फिर चाहे आप पर […]

आदित्यनाथ का चयन १४ करोड़ मतदाताओं का अपमान?

प्रजातंत्र में मतदान के पवित्र पर्व के माध्यम से मतदाता स्वयं के लिए प्रतिनिधि का चयन करते हैं, ऐसा प्रतिनिधि जो उनके हितों को सरकार में सुरक्षित रखे. उत्तर प्रदेश के के ६०% से अधिक मतदाताओं ने अपने ४०३ प्रतिनिधियों का चुनाव किया और भारतीय जनता पार्टी के ३१२ प्रत्याक्षी विधानसभा में पहुचाये. मतदाताओं में […]

मध्य प्रदेश में विकास का सच

२ विफल मुख्यमंत्रीयों के पश्चात २००५ में जब मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया तब मध्य प्रदेश में आशा की एक की किरण जागी थी.जनमानस को विकास कीआशा थी, युवाओं को रोजगार आशा थी, परिवारों को सुरक्षा की आशा थी. आशा थी की मध्य प्रदेश का कर्ज कुछ […]

संसद में व्हिप: अनुशासन या जनतंत्र पर कोड़ा?

भारत में व्हिप का प्रयोग राजनितिक दल अपने दल के जनप्रतिनिधियों को अनुशासन में रखने के लिए करते हैं. राजनैतिक दल तीन प्रकार की व्हिप जारी कर सकते है पहली तरह की व्हिप  एक लाइन की व्हिप होती है जो सदस्यों पर बाध्य नहीं होती, दूसरी तरह की व्हिप  दो लाइन की व्हिप, जिससे सदस्यों […]

राजनिति या राज अनिति?

भारतीय राजनीति में नैतिकता का पतन तो १९७० में ही आरम्भ हो गया था फिर भी कुछ नेताओं ने नैतिकता का दामन नहीं छोड़ा, चाहे अटल बिहारी वाजपई का इंदिरा गाँधी को दुर्गा का संबोधन हो, या विमान दुर्घटना होने पर माधव राव सिंधिया का त्यागपत्र.लालकृष्ण अडवाणी ने जैन हवाला मामले में नाम आने पर […]

कांग्रेस का सिमटता दायरा

दो राजनितिक दल जो को भारतीय राजनितिक के धरातल पर आज विराजमान हैं, एक है ऐतिहासिक दल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस और दूसरा भारतीय जनता पार्टी जो की ४० से कम वर्ष पुरानी है, जहाँ कांग्रेस सिमटती जा रही है वहीँ भाजपा बढती जा रही है. देश के काफी लोगों को ६० साल से अधिक भारत […]