नौकरी के लिए साक्षात्कार: उम्मीदवार की डिग्री, उम्मीदवार कितने प्रतिशत अंक ले कर उत्तीर्ण हुआ, फिर बैकग्राउंड चेक, इन सब में अगर पास हो गए तो नौकरी मिलने की आशा है.
राजनेता की नियुक्ति में न तो कोई शिक्षा की अनिवार्यता और यदि आपको सजा नहीं हुई है तो चलता है फिर चाहे आप पर हत्या के मामले हों या बलात्कार के. भारतीय कानून या संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो राजनेता को शिक्षा या अपराध के आधार पर संसद या विधानसभा में प्रवेश करने से रोकता हो. वो तो पिछले कुछ वर्षों से सजा पाए व्यक्ति की उम्मीदवारी पर रोक लगा कर सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान हो गया अन्यथा कोई सजायाफ्ता अपराधी भी संसद और विधानसभा में पहुँच सकता था. परन्तु उससे फर्क ही कितना पड़ा? भारतीय कानून व्यवस्था में पहले तो किसी राजनेता को सजा होती नहीं है, अगर होती भी है तो उसमें दशकों का समय लग जाता है.
परिणाम? पांचवी पास उमा भारती जी, मध्य प्रदेश की मुख्य मंत्री बन जाती हैं, केंद्र में मंत्री बन जाती हैं, राजा भईया जैसे दुर्दांत अपराधी उत्तर प्रदेश में जेल मंत्री बन जाते हैं, बारहवीं पास स्मृति इरानी जी मानव संसाधन मंत्री बन कर देश के उच्च नहीं उच्चतम शिक्षा केन्द्रों को बर्बाद कर जाती हैं, बलात्कार के आरोपी बलात्कार के आरोपी निहालचंद केंद्र में मंत्री बन जाते हैं, ९ अपराधिक मामलों के बावजूद आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बन जाते हैं, दर्जनों अपराधिक मामलों के साथ केशव मौर्य उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बन जाते हैं, विवादस्पद शैक्षणिक योग्यता के बावजूद नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बन जाते हैं,
परन्तु इसमें इन राजनेताओं की गलती नहीं है, गलती हैं उन मतदाताओं को जो इन्हें मत देते हैं, गलती है उस व्यवस्था की जो मुख्तार अंसारी और राजा भईया जैसों को संसद और विधानसभा तक पहुंचने देती है.
भारतीय संसद द्वार इस सुधार की आशा कम ही है, क्योंकि कोई भी राजनितिक दल इससे अछूता नहीं नहीं है, और इस प्रकार के कानून बनाने से राजनितिक दलों का नुक्सान होगा. इस सुधार की आशा या तो उच्चतम न्यायलय से है जिसने सजायाफ्ता अपराधियों का संसद – विधानसभा में प्रवेश वर्जित किया या फिर जनता से जो सड़कों पर आ कर सरकार को मजबूर कर दे ऐसा कानून बनाने पर जो केवल साफ़ सुथरे व्यक्तित्व के शिक्षित लोगों को संसद व् विधानसभा में प्रवेश की अनुमति दे
Hi great reading your bloog
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