आदित्यनाथ का चयन १४ करोड़ मतदाताओं का अपमान?

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प्रजातंत्र में मतदान के पवित्र पर्व के माध्यम से मतदाता स्वयं के लिए प्रतिनिधि का चयन करते हैं, ऐसा प्रतिनिधि जो उनके हितों को सरकार में सुरक्षित रखे. उत्तर प्रदेश के के ६०% से अधिक मतदाताओं ने अपने ४०३ प्रतिनिधियों का चुनाव किया और भारतीय जनता पार्टी के ३१२ प्रत्याक्षी विधानसभा में पहुचाये. मतदाताओं में अपेक्षा से अधिक समर्थन दे कर भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का अवसार प्रदान किया.

भारतीय जनता पार्टी ऐसे व्यक्ति को सरकार का मुखिया बना बैठी जो जनता के द्वारा चुना ही नहीं गया. ऐसा नहीं की इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ, २००४ एवं २००९ में यूपीए ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया जबकि वे जनता द्वारा नहीं चुने गए थे वरन राज्यसभा से सांसद थे, मगर राज्यसभा के सांसद जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं.

खैर, वापस चलते है उत्तर प्रदेश की ओर, जहाँ एक सप्ताह की जद्दोजहद के पश्चात भारतीय जनता पार्टी ने योगी आदित्यनाथ उर्फ़ अजय सिंह बिष्ठ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री एवं केशव मौर्य और दिनेश शर्मा को उप मुख्य मंत्री बनाया. आदित्यनाथ के विषय में चर्चा करने से पूर्व उप मुख्य मंत्री द्वय के विषय में बता दें, इन दोनों में से कोई भी २०१७ के विधानसभा चुनावों में न खड़ा हुआ और न जीता.

केशव मौर्य जो की फूलपुर से सांसद हैं जिनपर ९ केस चल रहे हैं, जिनमे हत्या, धोखाधड़ी जैसे जघन्य अपराध शामिल है.उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य का स्वयं का हलफनामा जो की उन्होंने २०१४ में लोकसभा की उम्मीदवारी दाखिल करते समय दाखिल किया था.

केशव मौर्य का हलफनामा

दुसरे उप मुख्यमंत्री हैं लखनऊ के मेयर रहे डॉक्टर दिनेश शर्मा जी, कुशल प्रशासक है, साफ़ स्वच्छ छवि, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पश्चात राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने, अटल बिहारी वाजपयी एवं नरेंद्र मोदी के करीबी होने की वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मुख्य मंत्री पद जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गयी है.

अब आते है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर, जिन पर हत्या के प्रयास, दंगे, धार्मिक भावनाएं भड़काने जैसे अनेकों मामले दर्ज हैं. ये है २०१४ में गोरखपुर से चुनाव लड़ते समय योगी आदित्यनाथ द्वारा दाखिल हलफनामा

आदित्यनाथ का हलफनामा

अब जानते है माननीय मुख्यमंत्री के विचारों पर

२००५ एटा: मैं उत्तर प्रदेश एवं भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने तक नहीं रुकुंगा.

अगस्त ३१, २०१४ को एक टीवी प्रोग्राम में: यदि अल्पसंख्यकों ने शांति से नहीं रहना सीखा तो हम उन्हें सिखायेंगे उस भाषा में जो वो समझते हैं.

नवम्बर २०१५: शाहरुख खान और हाफिज सईद में कोई अंतर नहीं है

सितम्बर ७, २०१४: जहाँ १०-२०% अल्पसंख्यक रहते हैं वहां दंगे होते हैं, जहाँ २०-३५% अल्पसंख्यक रहते हैं वहां गंभीर दंगे होते हैं. देश में गैर मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं बची है.

जुलाई 20१६: मदर टेरेसा देश में धर्म परिवर्तन की साजिश के लिए आई थी

लव जेहाद और कायराना से हिन्दुओं के पलायन जैसी झूठी अफवाह फ़ैलाने का श्रेय भी श्री मुख्यमंत्री को ही जाता है

आखिर ३१२ विधायकों में क्या भारतीय जनता पार्टी को कोई नहीं मिला? आखिर मतदाताओं के मत को नजरंदाज कर ऐसे विवादस्पद अपराधिक गतिविधियों के आरोपी योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की बागडोर दे कर क्या मतदाताओं का अपमान नहीं है?

सन्दर्भ:

हिंदुस्तान टाइम्स

6 comments

  1. Very true, appointing someone who is rioter, not elected by the people is gross insult to Indian democratic principles. BJP should be ashamed, but its people who have given mandate to BJP to do whatever they want.

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  2. RADHA CHARAN DAS · · Reply

    Very nicely presented the facts.

    Liked by 1 person

    1. Thank you sir.

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  3. Jaleel ahmed · · Reply

    Very nice article sir..

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    1. Thank you sir.

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