एक खुला पत्र प्रधानमंत्री के नाम – किसानों को नजरंदाज न करें

12royal-1.jpgमाननीय नरेन्द्र मोदी जी,

प्रधानमंत्री, भारत सरकार

सन्दर्भ: भारत में किसानों की दशा और सरकार की उदासीनता के विषय में

भारत एक कृषि प्रधान देश है, भारत के किसान हम भारतीयों के अन्नदाता है, हाल ही में जंतर मंतर पर तमिलनाडु से आए किसानों के आन्दोलन के विषय में पढ़, देख और सुन कर मन विचलित हो उठा। यदि भारतीय किसानों को मूषक खाने पड़ें, मूत्र पीना पड़े, तो ये हर एक भारतीय के लिए शर्म एवं धिक्कार की बात है। आखिर क्या कारण है की “जय जवान जय किसान” की अवधारणा पर चलने वाले देश भारत में किसानों को इस प्रकार के आन्दोलन का सहारा लेना पड़ा?

भारत भर में लगातार किसान आत्महत्या कर रहे हैं, और कोई भी आत्महत्या मनोरंजन के लिए नहीं करता बल्कि अत्यधिक मजबूर और निराश हो कर करता है। किसान आन्दोलन और किसानों की दुर्दशा को विकराल जन आन्दोलन का रूप लेते समय नहीं लगेगा।

जन आन्दोलन एक सैलाब ले कर आता है और इसमें बड़े बड़े पहाड़ ढह जाते है, आपको याद दिलाना चाहता हूँ, दिसम्बर २०१० में तुनेसिया के सिदी बौजिद शहर में एक फुटपाथ पर रेहड़ी लगाने वाले ने आत्मदाह किया, जिसका परिणाम तुनेसिया में २३ से शासन कर रहे जिन एल अबिदीन बेन अली के समाप्ति के रूप में हुआ। यही नहीं तुनेसिया का आन्दोलन इजिप्ट, लीबिया, यमन, सरिया और बहरीन तक पहुंचा और कई सरकारें गिर गयी। इस आन्दोलन को अरब स्प्रिंग का नाम दिया गया था।

१९९० में राजीव गोस्वामी नामक एक छात्र के आत्मदाह से सत्ताधारी विश्वनाथ प्रताप सिंह की पार्टी का नामलेवा भी नहीं बचा।

चाहे महात्मा गाँधी का नामक आन्दोलन हो या मार्टिन लूथर किंग जूनियर का जन आन्दोलन, सभी जन आन्दोलन बदलाव लाये हैं, और ये लोग भी हमारे जैसे आम आदमी ही थे. आम आदमी जब जागरूक होता है, तो कोई ताकत कोई सरकार उसे नहीं रोक सकती बदलाव लाने से।

आपकी “मेक इन इंडिया”, “कैशलेस इकॉनमी”, “स्वच्छ भारत” जैसे बहुप्रचारित कार्यक्रमों से अधिक महत्वपूर्ण है हमारे अन्नदाता किसानों की सुध लेना, उनकी सहायता करना। गौरक्षा के नाम पर देश में अराजकता फ़ैलाने से बेहतर है किसान रक्षा करना। बड़े उद्योगपतियों की सहायता एक बात है, नगरों का विकास अलग बात है, पर किसानों को आत्महत्या से बचाना सबसे महत्वपूर्ण है।

भारत के प्रधानमंत्री, देश की कैबिनेट के प्रमुख होने के नाते ये आपका कर्तव्य है की आप देश के सबसे महत्वपूर्ण अंग किसानों की हर सम्भव सहायता कर उन्हें मरने से बचाएं, पर आपने तो एक बार जंतर मंतर जा कर उनके दुःख-दर्द में शामिल होना, उन्हें सहायता या सहायता का आश्वासन देना भी उचित नहीं समझा।

मैं समझ सकता हूँ, आप प्रधानमंत्री है, आपकी दिनचर्या अत्यंत व्यस्त है, पर एक कृषि प्रधान देश में किसानों की रक्षा से अधिक महत्वपूर्ण कोई और कार्य हो ही नहीं सकता। मुझे जैसे आम आदमी को किसानों की उपेक्षा का कारण समझ नहीं आता।

आपसे करबद्ध निवेदन है की औद्योगिक घरानों की सहायता के साथ ही किसानों की सहायता का भी उचित प्रबंध करें। यह सुनिश्चित करें की किसान के घर रोज चूल्हा जले, कोई और किसान आत्महत्या पर मजबूर न हो, किसान के बच्चे अच्छे शिक्षण संस्थानों में शिक्षा प्राप्त कर सकें। यदि सरकार के खजाने में किसान सहायता हेतु रकम नहीं है आप हम पर टैक्स और बढ़ा दें पर किसानों को नजरंदाज करना बंद करें।

निवेदक,

मनीष सिरसीवाल

@msirsiwal

https://www.facebook.com/TheManishSirsiwal/

 

3 comments

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