इस ब्लॉग को पढने के बाद शायद मन विचार आये की “हे भगवान् हमें तो ये पता ही नहीं था”.
चलिए आज चर्चा करते है एक लॉबीइंग फर्म “APCO Worldwide“ की जिसका कार्य है युद्ध को बढ़ावा देना एवं तानाशाहों का बचाव करना.
लॉबीइंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी के रूप में खड़ा APCO, अपने ही शब्दों में, सरकारों, राजनेताओं और निगमों के लिए “पेशेवर और दुर्लभ विशेषज्ञता” प्रदान करता है, और हमेशा ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मामलों में दोनों की जटिल दुनिया में मदद के लिए तत्पर है.
http://www.apcoworldwide.com/about-us
मार्जरी क्राउस अर्नोल्ड और पोर्टर, वाशिंगटन द्वारा बड़ी फर्मों के सहायक के रूप में 1984 में APCO एसोसिएट्स की स्थापना की गई थी, जहां से अर्नोल्ड और पोर्टर अब इसराइल के सबसे बड़े और सबसे लंबे समय तक सेवारत पंजीकृत विदेशी एजेंट है.
तानाशाही के लिए जनसंपर्क करना APCO की गतिविधियों का हिस्सा है. APCO युद्ध पैरवी की एक बटालियन है. फर्म हथियारों और दुनिया के मामलों में अमेरिकी सेना की भूमिका के विस्तार की वकालत करता है.
अक्तूबर 2004 में, APCO और किसिंजर एसोसिएट्स (हेनरी किसिंजर के स्वामित्व) ने गठबंधन किया. किसिंजर एसोसिएट्स के अलावा, APCO ने रूढ़िवादी समर्थक यहूदी पैरवी और विरासत फाउंडेशन, स्वतंत्रता की सीमा, यहूदी नीति केंद्र, आदि से आतंक के खिलाफ युद्ध के नाम पर परामर्श समूह का एक व्यापक नेटवर्क या गठबंधन बनाया.
APCO अमेरिकी सरकार के लिए संचार समन्वय स्थापित करने में मदद, युद्ध की आवश्यकता के लिए जनता को समझाने का कार्य करती है. इसका काम युद्ध के प्रयासों के समर्थन में विनिर्माण जनता की राय और प्रतिक्रिया भी शामिल हैं.
असल में इस फार्म द्वारा पश्चिम में सुरक्षा हासिल करने के लिए समाधान के रूप में आक्रामकता को बेचने के लिए पश्चिमी समाज में इस्लाम भय का शोषण किया.
जॉर्ज बुश का इराक व अफगानिस्तान हमले का समर्थन करने के अलावा, APCO ने इराक युद्ध में प्रवेश करने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के अलोकप्रिय कदम का बचाव किया. APCO ने युद्ध गठबंधन को मजबूत करने के लिए टोनी ब्लेयर को सहायता प्रदान की थी.
ईरान पर हमले के लिए एक कानूनी आधार खोजने के लिए एक रिपोर्ट आई थी. दिलचस्प है उसके लेखक जेफरी एच. स्मिथ और जॉन बी बेल्लिंगर तृतीय थे, अर्नोल्ड और पोर्टर के वकीलों ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी. “इसराइल: मानचित्र से मिटा” नामक यह रिपोर्ट ईरान पर युद्ध का औचित्य साबित करने के लिए अफवाह का कारण एवं माध्यम दोनों थी.
APCO अनेक युद्ध भड़काने वाले कार्यों में लिप्त रहा है, सरकार की ओर से जनता में युद्ध की वकालत करना इनका पेशा है, इसके अलावा APCO तानाशाह और कम्युनिस्ट शासकों के “image makeover” का कार्य भी करता रहा है.
वैसे तो मैं APCO के विषय में बहुत कुछ और बहुत विस्तार से लिखना चाहता हूँ मेरा उद्देश्य APCO जी जन्म कुंडली प्रसारित करना नहीं पर APCO का भारत पर असर के विषय में लिखना है.
अनेक रिपोर्टों के अनुसार पूर्व नाइजीरियाई तानाशाह सानी अबाचा और कजाखस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरबायेव के राष्ट्रपति की ही भांति इस वाशिंगटन स्थित फर्म, APCO को विश्व समुदाय के सामने अपनी छवि को सुधारने एवं भारत में खुद के विकास की भ्रान्ति फ़ैलाने के लिए नरेंद्र मोदी ने एंगेज किया. वैसे APCO के ग्राहकों में मिखाइल खोदोरकोवस्की रूसी माफ़िया से संबंधित पूर्व कमुनीस्ट नेता भी शामिल है.
8 फ़रवरी 2011 को न्यू यॉर्क टाइम्स द्वारा प्रकाशित एक लेख में, स्टीवन किंग नामक एक APCO एग्ज़िक्युटिव ने ” “lingering controversies” के विषय में नरेन्द्र मोदी की ओर से जवाब दिया. और यह तब हुआ जब APCO ने स्वयं न्यू यॉर्क टाइम्स से संपर्क कर मोदी की ओर से पक्ष रखने की पेशकश की. वैसे एक अन्य पत्रिका (May be Times?) मोदी के इंटरव्यू के लिए APCO से संपर्क किया और इंटरव्यू करवाया.
एडोल्फ हिटलर एक शानदार प्रचार वादी (propagandist) था. और ये बात कहीं छुपी नहीं है नरेंद्र मोदी भी छवि बनाने और प्रचारित करने में विश्वास रखते है. फिर चाहे हर घंटे कपड़े बदलना हो, सेल्फी प्रेम हो, अमेरिका में रॉक शो हो. APCO दुनिया भर में इसके 32 कार्यालयों के माध्यम से, एक महान सरकार के रूप में प्रचारित करने में भी लगी है.
APCO एवं APCO से नरेंद्र मोदी के सम्बन्ध के बाद भारतीय राजनीती में इसके प्रभाव पर भी चर्चा कर लेते है.
क्या आपने किसी प्राइम टाइम न्यूज़ मे किसी पत्रकार को नरेंद्र मोदी पर लगे घोटाले के आरोपों या सरकार की विफलता पर सवाल पूछते देखा है? आख़िर क्यों मीडिया मोदी के झूठ को सच साबित करने मे लगा है और मोदी सरकार की विफलताओं पर आँखें मूंदे बैठा है? इसका कारण है APCO का मीडिया प्रबंधन. इसका कारण है APCO द्वारा मोदी के झूठ को फैलने का काम, APCO द्वारा भारतीय मीडिया को खरीदना.
इसीलिए चुनाव पूर्व अनुमानित 2G नुक्सान (Presumptive loss) मीडिया की सुर्खी रहता है, पर चुनाव पश्चात मीडिया के मुंह पर ताला लग जाता है.
इसीलिए उत्तर प्रदेश में भाजपा का जीतना महीनों तक मीडिया हैडलाइन रहता है, मगर पंजाब में विपक्ष की जीत, गोवा-मणिपुर में विधायकों की खरीद फरोख्त मीडिया में सुर्खियाँ नहीं बना पाती.
इसीलिए पूर्व सरकार को देश के हर छोटे बड़े घोटाले का जिम्मेदार मानने वाली मीडिया, नरेंद्र मोदी पर आरोपित नैनो घोटाले, गुजरात गैस घोटाले, जैसे अनेक घोटाले पर मौन धारण कर लेती है.
इसीलिए जो लोकायुक्त मीडिया के लिए TRP का बड़ा साधन था, अब मीडिया की स्मृति में ही नहीं है, RTI की हत्या पर भी मीडिया इसीलिए मौन रहता है.
इसीलिए Timesnow और NDTV को पूर्व सरकार के समय पर महाराष्ट्र के किसानों की हालत तो दिखती थी मगर आज जब हजारों किसान आत्महत्या कर रहे हैं तब आँखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं.
इसीलिए व्यापम घोटाले जैसा घोटाला जिससे ५० से अधिक मौंतें लिंक है, जिसमें मुख्यमंत्री समेत अनेक बड़े भाजपा नेताओं एवं तत्कालीन राज्यपाल का नाम जुड़ा है, मीडिया का शिकार नहीं हो पायीं.
इसीलिए अरुणाचल एवं उत्तराखंड में जनतंत्र की हत्या पर मीडिया ने नरेंद्र मोदी एवं उनकी सरकार की भूमिका सर्वोच्च न्यायलय में साबित होने के बावजूद उजागर करने की जहमत नहीं उठायी.
इसीलिए समय आने पर येद्दि का माइनिंग घोटाला सभी न्यूज मे ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाता है पर जब वे घर वापसी करते है तो घोटालों का जिक्र नहीं होगा.
इसीलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की नित्य क्रिया से ले कर उनके भोजन तक पर सुर्खियाँ बनाने वाली मीडिया पंजाब में लिए जा रहे जनहित के कार्यों एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री के आपराधिक मामलों को मीडिया नजर अंदाज करती रही है.
इसीलिए कश्मीर में सेना पर हमले जैसी घटनाओं पर मीडिया मोदी सरकार की विफलता पर सवाल पूछने में स्वयं को असमर्थ पाता है.
इसीलिए मीडिया गौरक्षा के नाम पर संघ समर्थित संगठनों के तालिबानी कृत्यों की भर्त्सना करने की जहमत या सरकार से सवाल पूछने में शर्माता है.
मोदी सरकार के सच को झूठ और झूठ को सच बनाने की कला के पीछे APCO का हाथ है, APCO ही मोदी के लिए मीडीया मैनेजमेंट (या manipulation) करता है, नरेंद्र मोदी का प्रचार करता है, यही नहीं सोशल मीडिया की रणनीति बनाता है, ये सुनिश्चित करता है की सत्य छुपा कर झूठ को बार बार बोला जाए, जोर जोर से बोला जाये, तब तक बोला जाये जब तक झूठ से सच का भ्रम न उत्पन्न हो जाए.
Wonderful blog.
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Thank you sir ji
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The primary profession of this government is marketing, they are not to serve us but to screw us
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Modi is in style of rudolf Hitler, The slogans of “modi modi” is also that type only. These activities should come in the view of Country’s citizens.
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