१८५७ के इतिहास पर वर्तमान चुनाव जितने को आतुर शिवराज

1479704771.jpgमध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भिंड के अटेर विधानसभा उपचुनाव में प्रचार के दौरान सिंधिया राजघराने पर टिपण्णी कर राजनितिक भूचाल ला दिया, उनके बयान से राजनेता अलग अलग धड़े में नजर आये, भारतीय जनता पार्टी के नेता जो स्व. विजयराजे सिंधिया का सम्मान करते हैं, या फिर वो जो शिवराज सिंह चौहान के विरोधी है, शिवराज सिंह के विरुद्ध खड़े हो गए, दूसरी तरफ शिवराज के समर्थक और कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधी जो शिवराज सिंह के बयान का समर्थन करते नजर आये.

क्या कहा था शिवराज सिंह चौहान ने:

1857 की क्रांति में अटेर इलाका महारानी लक्ष्मीबाई के साथ खड़ा था। अंग्रेजों का साथ इस इलाके ने कभी नहीं दिया पर अंग्रेजों के साथ मिलकर सिंधिया ने यहां के लोगों पर बड़े जुल्म ढाए पर यहां के लोगों ने बहादुरी के साथ उनके जुल्मों का मुकाबला किया।

१८५७ में घटित घटनाओं ने नाम पर अटेर में वोट मांग कर शिवराज सिंह क्या सन्देश दे रहे थे ये तो शायद उन्हें ही पता हो, पर यदि शिवराज सिंह १९५७ की बात कर सकते हैं तो हमें १७७७ का जिक्र करने की इजाजत तो है की, इसी सिंधिया घराने के पूर्वज महादजी सिंधिया ने अंग्रेजों से न केवल भीषण युद्ध किया बल्कि पराजित कर  गुजरात और ठाणे का इलाका वापिस ले कर रुपये ४१००० का हर्जाना भी वसूला. उसके बाद १७७९ में फिर अंग्रेजों को हराया और लगभग पूरे पश्चिमी और मध्य भारत से बाहर किया.

ये तो स्पष्ट है की भाजपा राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ अर्थात आरएसएस की विचारधारा को मानने वाला एक राजनैतिक दल है, यहाँ तक की देश का बड़ा वर्ग भाजपा को आरएसएस का राजनैतिक मुखौटा ही मानता है.

शिवराज जी ने इतिहास की ही बात की है तो इतिहास और भी बहुत कुछ बोलता है, इतिहास में आरएसएस का भारत की स्वतंत्रता में कोई योगदान नहीं वर्णित है, यदि कुछ वर्णित है तो ये की आरएसएस एवं हिन्दू महासभा ने स्वतंत्रता सेनानियों के विरूद्ध जा कर १९४२ में अंग्रेजों भारत छोडो आन्दोलन का विरोध कर अंग्रेजों का साथ दिया था. इतिहास में ये भी लिखित है की भाजपा के आदर्श विनायक दामोदर सावरकर ने खुद की रिहाई के लिए एक बार नहीं कई बार क्षमा याचना की थी.

यही नहीं, ये विश्वविदित तथ्य है की महात्मा गांधी की हत्या करने वाले आरएसएस की विचारधारा के समर्थक, आरएसएस कार्यकार्ता (आरएसएस के मुताबिक पूर्व कार्यकर्ता) थे. यही नहीं, गांधी जी की हत्या पश्चात आरएसएस एवं हिन्दू महासभा के लोगों ने मिठाइयाँ वितरित कर ख़ुशी जाहिर की थी.

शिवराज सिंह जी, ये तो सर्वविदित है की आरएसएस ने २००२ तक तिरंगे का बहिष्कार कर अपमान किया, मगर ऐसा भी कहा जाता है की १९४८ में आरएसएस ने तिरंगे को पैरों तले रौंदा था. 479978_312747212172215_241545593_n (1).jpg

इतिहास के पन्नों में अनेकों ऐसी घटनाएं लिखित है जो आरएसएस एवं हिन्दू महासभा को गद्दार साबित करते हैं, और आरएसएस भाजपा के लिए क्या है ये तो शिवराज सिंह चौहान बेहतर जानते हैं.

इतिहास की बात तो बहुत हो गयी, अब वर्तनाम की बात करते हैं. भाजपा की संस्थापक सदस्य स्व. राजमाता विजयराजे सिंधिया ने अपनी पुत्रियों के गहने बेच कर भाजपा को दान दिया था जिससे भाजपा की स्थापना सम्भव हो सकी. अपने पितृ संगठन आरएसएस की तरह शिवराज सिंह भी गद्दारी करते दिखते हैं, “जिस थाली में खाया उसी थाली में छेद किया” वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ होती है जब जिनके टुकड़ों पर पलें हों उसी को गालियाँ दें. यही नहीं, उसी सिंधिया राजघराने की एक सुपुत्रि वसुंधरा राजे भाजपा के नित्रित्व वाली राजस्थान सरकार की मुखिया हैं और दूसरी सुपुत्री शिवराज सरकार में ही मंत्री हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने अटेर विधानसभा चुनाव के प्रचार में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते साधते शिवराज सिंह चौहान ने हर सीमा को पार किया ही, परन्तु कांग्रेस में सिंधिया विरोधियों ने शिवराज सिंह के बयान को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी उज्जैन के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू ने भी सिंधिया परिवार पर मौका देख वार कर डाला, हालाँकि प्रेमचंद गुड्डू जिस स्तर के नेता हैं उनकी बातों का कोई महत्त्व नहीं है. उज्जैन के निवासियों के अनुसार चुनाव का उन्हें गहरा अघात लगा है, और अब वे कोई भी समझदारी की बात करने की स्थिति में नहीं है.

परन्तु, प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस स्तर की गिरी हुई राजनीति आश्चर्य नहीं दुःख का विषय है. शिवराज जी सिंधिया परिवार ने १८५७ में क्या किया और क्या नहीं किया, वो आज प्रासंगिक नहीं है, प्रासंगिक है मध्य प्रदेश का नाम घोटाला प्रदेश हो जाना, प्रासंगिक है प्रदेश का हत्या, बलात्कार, कुपोषण, भ्रष्टाचार में पहले स्थान पर होना, प्रासंगिक है व्यापम जैसे घोटाले का होना जिसमे आप सहित अनेकों बड़े नेताओं पर ऊँगली उठी है, प्रासंगिक है प्रदेश में गिर चुका शिक्षा का स्तर, यदि आप इनकी बातों की चर्चा करें ज्यादा उचित होगा. आशा है शिवराज सिंह चौहान आगे से जिम्मेदारी भरा व्यवहार कर प्रदेश की जनता को शर्मसार होने से बचायेंगे.

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