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अपरिपक्व जनतंत्र में जनता की एक गलती भी देश को बर्बादी की और धकेलने को काफी होती है और भारत की जनता को गलतियों पर गलतियाँ करती जा रही है. विपक्ष का खात्मा कर जनता ने अच्छे दिन की आस में नरेंद्र मोदी के नेत्रित्व वाली भाजपा सरकार को प्रचंड बहुमत दिया, आखिर क्यों नहीं देते? भ्रष्टाचार मिटाने का, १०० दिन में काला धन वापस ला कर हमें १०-१० लाख रुपये देने का, भ्रष्टाचार मिटाने का, पाकिस्तान के एक सैनिक का बदले १० सिर काट कर लाने का जैसे अनेक वायदे किये थे. मगर सत्ता आने के बाद यही सरकार एक निरंकुश शासक साबित हुई.
पहले बात करते है भ्रष्टाचार मिटाने के वायदे की, चुनाव पूर्व मोदी एवं उनकी पार्टी ने सोनिया गाँधी से ले कर रोबर्ट वाड्रा तक पूरे गांधी परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, 2G, आदर्श सोसाइटी, कोयला घोटाले जैसे अनेक घोटालों के ढोल पीटे, मगर चुनाव बाद किसी को या भी नहीं पता की इन घोटालों की जांच का क्या हुआ? किसी एक कांग्रेसी नेता की गिरफ़्तारी नहीं हुई. रोबर्ट वाड्रा के नाम पर बड़े बड़े दावा करने वाली भाजपा वाड्रा पर कोई आरोप साबित नहीं कर पायी.
मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एवं राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भगोड़े ललित मोदी की सहायता के आरोप लगे, स्वयं मोदी पर गुजरात में गैस में घोटाले के आरोप लगे, सहारा रिश्वत काण्ड में स्वयं मोदी पर आरोप लगे, नितिन गडकरी, अरुण जेटली जैसे वरिष्ठ नेताओं पर नेताओं के गंभीर आरोप लगे, पर मोदी ने किसी घोटाले की जांच करानी भी उचित नहीं समझी, बल्कि सत्ताधारी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं एवं मंत्रियों ने क्लीन-चिट दे कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली.
व्यापम जैसे महाघोटाले के आरोपों के बावजूद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पद पर बने हुए है, उल्टा सीबीआई ने शिकायतकर्ताओं पर ही मामला दर्ज करने के तैयारी कर ली, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह हो या राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सभी घोटालों के आरोपों में घिरे है और सरकार जांच से भी कतरा रही है, मगर हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की सुपुत्री के विवाह के दिन उनके घर पर छापा मारा जाता है, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के कार्यालय पर छापा मारा जाता है.
क्या आपने मई २०१४ के पश्चात कैग का नाम भी सुना है? क्या कैग की कोई रिपोर्ट सदन में पेश की गयी है? सूचना के अधिकार कानून की तेजी से हत्या की जा रही है.
पाकिस्तानी नापाक कृत्यों का जवाब देने के लिए ५६ इंच की छाती दिखाने वाले नरेंद्र मोदी, सरकार बनने के पश्चात आइएसआई से भारतीय वायुसेना के ठिकानों की जांच कराते है, सर्जिकल स्ट्राइक पर उत्तर प्रदेश के चुनावों में श्रेय लेने वाले नरेंद्र मोदी हमारे सैनिकों की शहादत पर कड़ी निंदा कर कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं, नक्सली हमलों का मोदी पर कोई असर नहीं पड़ता.
विदेशों में रॉक शो, देश में जुमले, आज भी नरेंद्र मोदी दो काम कर रहे है, एक तो पूर्व सरकार के प्रोजेक्ट का फीता काटना दूसरा चीख चीख कर भाषण देना और उन भाषणों में झूठे वादे तथा कांग्रेस को गालियाँ देना, हालाँकि उनके भाषण का स्तर सरकार के स्तर से भी नीचे गिरता जा रहा है.
विकास की बातें की जाती है, बड़े बड़े नंबर दिखाए जाते है मगर जानकारों के मुताबिक वो नंबर भी केवल और केवल धोखा ही है. मोदी अपने मन की बात पर जुमले पर जुमले सुनाते है पर हमारे मन की बात तो कभी सुनते नहीं?
इस सरकार की नाकामी की गाथा बहुत लम्बी है पर मीडिया जो की सरकार के दरबार की बांदी बन चूका है कुछ नहीं दिखाता, ऐसा लगता है मीडिया मंडी में बैठा है और जो अधिक बोली लगाये खरीद सकता है. एक के बाद एक जनतंत्र की हत्या की जाती है, अरुणाचल और उत्तराखंड की चुनी हुई सरकार की हत्या की जाती है, गोवा और मणिपुर में खरीद फरोक्त से सरकारें बनती है, हिमाचल और दिल्ली की सरकार को गिराने का हर संभव प्रयत्न किया जाता है और वो भी विश्व की सबसे बड़े लोकतंत्र में. मगर मीडिया नामो नामो करती रहती है.
परन्तु अपरिक्व जनतंत्र में जनता के गलत निर्णय से ये होना कोई बड़ी बात नहीं है, ये सरकार पूर्ण बहुमत प्राप्त कर निरंकुश शासक बन चुकी है, चाहे जितना भ्रष्टाचार करे, जांच एजेंसी को अपनी जेब में रखने वाली सरकार का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, सरकार की नाकामियों पर मीडिया केवल आँखे मूँद चुप मार बैठ जाता है, पाकिस्तान हमारे सैनिकों के सर काट कर ले जाए तो मीडिया शशि थरूर पर आरोप लगा कर ध्यान बंटाएगा, नक्सली हमला हो तो मीडिया तो वाड्रा की याद आ जाती है, मीडिया तो अब जनतंत्र का चौथा स्तम्भ रहा नहीं, मगर सरकार भी जनतंत्र की पहला स्तम्भ नहीं रहा, बल्कि जनतंत्र की कब्र बन चुकी है यह सरकार. सरकार पर नजर रखने के लिए विपक्ष की बड़ी भूमिका होती है पर जनता ने विपक्ष को ख़त्म कर सरकार को निरंकुश बनाने की भूमिका निभाई पर ये भूल गयी की विपक्ष के बगैर भारत की सरकार एवं चीन की कम्युनिस्ट आततायी सरकार में कोई अंतर नहीं रहता.
जनतंत्र की जय मगर बन्दर के हाथ में उस्तरा दे कर जनता ने खुद को ही घायल कराने का पूर्ण प्रबंध कर लिया है.
Nice
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We should expose this RSS Govt.’s jumle and false commitments everywhere.
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