फिर आई खबरें, पाकिस्तानी सेना के हमले में भारतीय जवान शहीद, २ जवानों के सिर कलम कर दिए गए. और फिर आरम्भ हो गई मीडिया की दुकान, बड़े-बड़े चैनल अपने स्टूडियो में ४-६ विशेषज्ञों को बैठा कर सभी ने पाकिस्तान नामक समस्या का समाधान भी खोज लिया, कुछ चैनलों ने तो पाकिस्तान पर हमला कर १०-१२ पाकिस्तानी पोस्ट को भी तबाह कर दिया, जिसका खंडन भारतीय सेना भी करती है, और हमारी सरकार ने निंदा मिसाइल भी दाग दिया पाकिस्तान पर, अब उससे पाकिस्तान के २०-२५ हजार सैनिक तो मारे ही गए होंगे.
२०१४ में सरकार परिवर्तन के पश्चात सुरक्षाबलों पर हमलों की संख्या में अत्यधिक विस्तार हुआ है. याद दिला दें, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई जी लाहौर गए थे और वापसी में कारगिल में पाकिस्तानी सैनिकों को आमंत्रित कर आये थे. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आकस्मिक लाहौर दौरा कर पाकिस्तान के साथ सद्भावना एवं मित्रता का पैगाम देने का प्रयत्न किया, उससे पूर्व भी गाहे बगाहे प्रधानमंत्री जी पाकिस्तान के साथ तोहफों का आदान प्रदान करते रहे, मगर परिणाम? प्रधानमंत्री जी की लाहौर यात्रा के तत्काल बाद पठानकोट में भारतीय वायुसेना के एयरबेस पर हमला, जिसका सीधा आरोप पाकिस्तान पर, पर हमारी सहृदय सरकार ने पाकिस्तान को माफ़ ही नहीं किया बल्कि पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर एजेंसी ISI को पठानकोट एयरबेस का टूर करने आमंत्रित कर दिया.
फिर २०१६ में जम्मू काश्मीर के उड़ी स्थित भारतीय सेना के मुख्यालय पर हमला किया जिसमें हमारे १८ जवान शहीद हुए, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले काश्मीर पर हमला कर अनेकों पोस्ट तबाह कर दिए. भारतीय सेना द्वारा की गयी इस सर्जिकल स्ट्राइक को चुनाव में वोट बटोरने के लिए सत्ताधारी पार्टी ने प्रचार पोस्टरों पर बड़ी जोरशोर से छापा गया, सेना की कार्यवाही का चुनाव प्रचार में भरपूर इस्तेमाल किया गया.
ऐसे ही अनेकों हमले हुए, हमारे जवानों की क्षति हुई और सरकार में बैठे हमारे नुमाइंदे कड़ी निंदा का खेल खेलते रहे और मीडिया अपनी दुकानदारी चलाता रहा.
मगर मुख्य प्रश्न ये है की आखिर पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने वाली ५६ इंच छाती कहाँ गयी? कहाँ गयीं स्मृति इरानी जी जो पाकिस्तान के कृत्य पर पूर्व सरकार को चूड़ियाँ भेज रहीं थी? कहाँ गए वो मोदी जी जो सप्तम सुर में मनमोहन सिंह की आलोचना करते थे, पाकिस्तान पर नर्म पड़ने का आरोप लगाते थे? आखिर सरकार की नपुंसकता का खामियाजा कब तक हमारे जवान भरते रहेंगे?
भारत का इतिहास “जय जवान जय किसान” का रहा है, “ये देश है वीर जवानों का” फिर आज ऐसा क्या हो गया की किसान तो मर ही रहे थे, अब जवान भी शहीद हो रहे हैं? जवानों पर काश्मीर में जनता पत्थर बरसा रही है? क्या सरकार की आधिकारिक नीति “मर किसान, मर जवान” हो गयी है?
जिस भारत ने पाकिस्तान को चीर कर २ टुकड़ों में बाँट दिया वो भारत क्यों पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने से कतरा रही है? क्या ये कमजोर सरकार की वजह से हो रहा है? हमारी सेना हर तरह से सक्षम है और पाकिस्तान हर सीमा को पार कर चूका हैं, पर सरकार न जाने किस पंडित से मुहूर्त निकलवा कर मुंह तोड़ जवाब देगी? या केवल निंदा मिसाइल ही फायर करती रहेगी?
आखिर क्या कारण है की जो पाकिस्तान भारतीय जवानों पर लगातार हमले करता है, शहीदों के सिर काट कर जवानों का नहीं बल्कि भारत का अपमान करता है, उसी पाकिस्तान के साथ प्रधानमंत्री जी तोहफों का आदान-प्रदान करते है, केक खाने लाहौर पहुँच जाते हैं? आखिर भारत सरकार पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने में किसका खौफ खा रही है?क्या समय आ गया है की हम सभी भारतीय प्रधानमंत्री को चूड़ियाँ भेंट करें? क्या भारत में पुनः शास्त्री जी या इंदिरा जी जैसे प्रधानमंत्री होंगे जो पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दे सकें? या फिर केवल निंदा मिसाइल ही चलती रहेगी?
शहीद जवान के पिता प्रश्न करते है कि “जब एक इंच लंबाई कम होने पर आप सेना में नही लेते तो मैं एक फ़ीट छोटे पुत्र को कैसे ले सकता हूँ?” ऐसा सुन कर 56 इंच की छाती फटती हो या न हो पर हम आम आदमियों की छाती अवश्य फटती, खून के आंसुओं के साथ यही प्रश्न उठता है कि क्या हमने सरकारी खजाने को विज्ञापनों में लुटाने, न्यू यॉर्क में रॉक शो करने एवं जुमलेबाजी के लिए चुनी थी?
Twitter: @msirsiwal
Facebook : https://www.facebook.com/TheManishSirsiwal/
Nice blog
LikeLiked by 2 people
Thank you Sir
LikeLiked by 1 person
This Govt. and the present P.M. is befooling the citizens of the country by false promises.
LikeLiked by 1 person