मध्य प्रदेश में मंदसौर में एक नाबालिक बालिका के साथ बलात्कार पर पूरा देश रोया, पूरा देश आक्रोश में आ गया, जगह जगह प्रदर्शन हुए, कैंडल मार्च निकाले गए, मुख्यमंत्री ने आरोपियों को फांसी का भी वादा कर दिया. मगर क्या ये पहली घटना है? और क्या इस घटना से किसी ने फायदा उठाने की कोशिश की? क्या ये आखिरी घटना होगी?
15 वर्ष के शिवराज चौहान के शासन की कहानी क्या है? उनके शासन में नाबलिकों के खिलाफ अपराध में 865% की वृद्धि हुई है, 1,425 to 13,746, देश भर में 153,701 नाबलिकों के खिलाफ बलात्कार / सेक्सुअल हरासमेंट के मामलों में 23,659 मामले मध्य प्रदेश के ही थे.
देश भर में हुए 249,383 नाबलिकों के अपहरण में 23,564 (9%) मध्य प्रदेश में ही थे. मध्य प्रदेश की अदालतों में जहाँ 2001 में 2,065 नाबलिकों के विरुद्ध मामले लंबित थे वहीँ ये संख्या 2016 में ये संख्या 31,392 तक पहुँच चुकी थी.
वर्ष 2018-19 में मध्य प्रदेश सरकार ने 90.61 करोड़ रुपये 3.2 करोड़ बच्चों के विकास के लिए आवंटित किये अर्थात 28 रुपये हर बच्चे के लिए. और इसमें से 67.76 करोड़ रुपये सरकार द्वारा चलाये जा रहे एकीकृत बाल सुरक्षा कार्यक्रम में के लिए, जिसमें से 27.09 करोड़ रूपये केवल तनखा में ही जाते है. प्रदेश के कुल 2.05 लाख करोड़ के बजट में से केवल 0.004% ही केवल बाल सुरक्षा के लिए आवंटित किये गए है.
गत वर्ष शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 12 से कम उम्र की बालिकाओं पर बलात्कार के मामले में फांसी की सजा का क़ानून बनाया, अभी मंदसौर में हुए जघन्य अपराध के पश्चात शिवराज सिंह चौहान ने सर्वोच्च न्यायाधीश को पत्र लिख नाबलिकों के खिलाफ बलात्कार के मामलों के लिए फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का निवेदन किया, मगर प्रश्न ये उठता है की आखिर ये करने के लिए शिवराज जी को 2018 के चुनावों का इंतज़ार क्यों करना पड़ा? क्या मौजूदा कानून नाकाफी है या उन्हें लागू करने में सरकार अक्षम?
और जब इस प्रकार के अपराध होते है तो उनकी विचारधारा के समर्थक आरोपी और पीड़ित के धर्म, जात खोजने लगते है, फोटोशॉप कर झूठी तस्वीरें वायरल कर घटनाओं को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश करते है ताकि लोगों का ध्यान सरकार की विफलता और नाकारापन की तरफ से हट जाए. मंदसौर की घटना के पश्चात शरारती राईट विंग समर्थकों ने एक मुहीम से चला कर एक धर्म को बदनाम करने का प्रयत्न किया, विपक्षी नेताओं के झूठे बयान वायरल किये.
अपराध वृद्धि के आंकड़े, शिवराज सरकार का बजट, और शिवराज सिंह जी के ने क़ानून और फास्टट्रैक कोर्ट के शगूफे केवल एक ही बात दर्शाते है की शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार में या तो इच्छाशक्ति की कमी है, या फिर ये सरकार ही अक्षम है, कुछ माह में होने वाले चुनावों को ध्यान रख नए नए लोकलुभावन बयान और वादों के अलावा कुछ नहीं जिनमें की कुछ करने के प्रयासों की कमी झलकती है.. साथ ही उनके सर्मथकों के शरारती और घृणित प्रयास घृणित बलात्कार को साम्प्रदायिक रंग दे कर शिवराज जी के लाभ के लिए इस्तमाल करने का घटिया प्रयोग.
Image: Courtesy ABP Live and Azad Nation
Nice article
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Thank you sir
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Nice infornation
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