गुरमीत राम रहीम पर फैसला: आतंकियों का तांडव और नपुंसक सरकार

DIEc_pgXUAM9sq5.jpg

कथित बाबा गुरमीत राम रहीम सिंह को शुक्रवार अगस्त 25 2017 को दोपहर 3 बजे विशेष सीबीआई अदालत द्वारा बलात्कार का अपराधी घोषित कर जेल भेज दिया गया और उसके बाद उसके हजारों समर्थक जिन्हें हरियाणा के पंचकुला में इकट्ठा होने की इजाजत मिली थी, उत्पात और हिंसा पर उतर आये। 8 बजे तक मरने वालों की संख्या 28 हो गई थी, और घायल लोगों की संख्या 250 से अधिक हो गई, कई करोड़ रुपये की संपत्ति की जला दी गयी थी।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित चार राज्य हिंसा की आग में जल रहे है। एक बलात्कारी बाबा के तथाकथित भक्तों आपराधिक कृत्यों का केंद्र रहा है पंचकुला। हालांकि राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बल उच्च न्यायालय के आदेशों पर नियुक्त थे, पर उन्हें परिस्थितियों से निपटने के लिए हर सम्भव तरीके से निपटने, बलप्रयोग के निर्देश नहीं मिले। ऐसा लग रहा था जैसे उत्तर भारत के इस हिस्से में युद्ध के हालत बन गए है।

इन सब का जिम्मेदार कौन? अवश्य ही हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ही इन परिस्थितयों के लिए जिम्मेदार है, हर बार की तरह इस बार भी खट्टर विफल ही साबित हुए है। ख़ुफ़िया विभाग, मीडिया कर्मी एवं स्थानीय समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री आँखे मूंदे रहे। स्थानीय चैनलों ने बार बार दिखाया किस प्रकार गुरमीत राम रहीम के समर्थक भारत को विश्व के नक़्शे से मिटाने की बात कर रहे थे, षड्यंत्रकारी आरोप की दुहाई दे कर सजा पर गंभीर परिणाम की चेतावनी देते गुरमीत राम रहीम के समर्थक हर टीवी और अखबार की सुर्खियाँ बने हुए थे । कुछ लोगों ने “पिताजी” (पिता) के खिलाफ “षड्यंत्रकारियों” के शब्दों के जरिए अदालत को “अकल्पनीय नतीजे” की चेतावनी दी थी, जिस पर “मामूली आरोप का आरोप लगाया गया” था। पर खट्टर और उनकी सरकार एक नपुंसक सरकार ही साबित हुई। यही नहीं, कन्हैया कुमार और हार्दिक पटेल को देशद्रोही घोषित करने वाली भाजपा ने देश के विरुद्ध जंग का ऐलान करने वाले गुरमीत राम रहीम के समर्थकों पर अपनी आँखे मूँद ली। आखिर क्यों न मूंदे जब उनके बड़े नेता गुरमीत राम रहीम के आस पास मंडराते दिखते है, जब भाजपा का वरिष्ठ शिष्ठमंडल गुरमीत राम रहीम से चुनावों में सहायता की गुजारिश करता है और वो समर्थन करता है।

मुख्यमंत्री ने हजारों समर्थकों सार्वजानिक स्थलों पर एकत्रित होने के संकेतों पर ध्यान नहीं दिया। कई लोग लोहे की छड़ से सशस्त्र थे, जिन्होंने सचमुच सड़कों पर कब्जा कर लिया था। सरकार मूकदर्शक जबकि यह खुला रहस्य था कि गुरमीत राम रहीम को बलात्कार का दोषी ठहराया जा सकता था, और गुरमीत राम रहीम के लोग हिंसा पर उतारू हो सकते हैं।

खट्टर के पास राज्य का गृह मंत्रालय भी है, इस प्रकार राज्य में पुलिस, कानून और व्यवस्था के लिए सीधे जिम्मेदार हैं। वह राज्य की सभी सुरक्षा एजेंसियों को बल प्रयोग की अनुमति देने के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। पर उन्होंने गुरमीत राम रहीम के समर्थकों को हथियारों सहित एकत्रित होने की अनुमति दी, और उन्हें हथियार का निरीह जनता पर इस्तेमाल भी होने दिया.

सिरसा से पंचकूला तक 200 से अधिक एसयूवी के साथ, हथियारबंद कमांडो के साथ गुरमीत राम रहीम 100 किमी की गति से जब पहुँचते है तब ये नहीं लगता की एक नाबालिक के साथ बलात्कार जैसे घृणित अपराध का आरोपी न्यायलय के सम्मन पर फैसला सुनने पहुंचा है वरन ऐसा लगता है कोई अपनी सामानांतर सत्ता का नग्न प्रदर्शन करने पहुंचा है। खट्टर वह व्यक्ति है जिसने उस बलात्कार के अपराधी को ‘पृथ्वी पर भगवान’ के उस प्रभामंडल के निर्माण के लिए दोषी ठहराया जा सकता है।

गुरमीत राम रहीम ने विडियो अपील के जरिये अपने समर्थकों से प्रतिकूल परिस्थितियों से शांति बनाए रखने की अपील की थी, खट्टर ने सभी रिपोर्ट और मीडिया से मिले स्पष्ट संकेत जिनमें गुरमीत राम रहीम के अनुयायियों ने चरम हिंसा की चेतावनी दी थी, को नजरअंदाज कर गुरमीत राम रहीम के विडियो पर विशवास किया, जो की अब साबित हो चूका है की सरकार को मूर्ख बनाने के लिए बनाया था। गुरमीत राम रहीम के समर्थक देश के खिलाफ विद्रोह की तैयारी कर रहे थे।

यह तो स्पष्ट है की इस हिंसा के जिम्मेदार राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर है, उनकी विफलता और उनकी नपुंसक सरकार न केवल इस हिंसा को रोकने में असफल हुई परन्तु इस हिंसा को भड़कने में इसका योगदान भी है, अब बड़ा सवाल ये है की खट्टर को मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहिए या नहीं? क्या ये समय है जब उनके राजनितिक आका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व् भाजपा अध्यक्ष को खट्टर का त्यागपत्र ले लेना या उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। भारत के किसी भी राज्य में ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री नहीं रहना चाहिए जो जनसामान्य की जान और माल की परवाह किये बगैर घर्म की आड़ में एक अपराधी की आभा की अधिक परवाह करता हो।और फिर पीड़ितों के जले पर नमक छिड़कने के लिए गुरमीत राम रहीम को जेल की जगह रोहतक में वीआईपी की तरह अतिथिगृह में रखा गया, आखिर खट्टर बताएँगे की के बलात्कारी अतिथि कैसे?

खट्टर ३ वर्ष से सत्ता में है और हरियाणा तीसरी बार हिंसा की आग में जल रहा है, नवम्बर २०१४ में जब रामपाल एक और तथाकथित बाबा को अदालत के आदेश पर गिरफ्तार किया गया, फरवरी २०१६ में जब जाट आन्दोलन हुआ और अब, तीनों बार प्रदेश हिंसा की आग में जला और खट्टर आम जन की जानो माल की हिफाज़त करने में असफल हुए। इस सभी मौकों पर यह देखा गया कि राज्य में कोई नेतृत्व नहीं था और न उनकी क्षमता और न ही स्थिति को नियंत्रित करने की इच्छा थी।

खट्टर जो की आरएसएस प्रचारक है जो २०१४ में मुख्यमंत्री बने, किसी भी प्रकार से मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त नहीं है, मुख्यमंत्री केवल एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शहर गुडगाँव को गुरुग्राम करने का श्रेय ले सकते हैं, और उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय छोड़ गुरु के ग्राम ही चले जाना चाहिए

One comment

  1. खट्टर सरकार भारत के इतिहास की सबसे खटारा सरकार है

    Liked by 1 person

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: