सबसे पहले, कौन था ये चार्ल्स मैनसन?
तस्वीर से ही स्पष्ट है, चार्ल्स मैनसन एक निओ-नाज़ी था… कुछ दिन पूर्व इसकी कैलिफ़ोर्निया की एक जेल में ८३ वर्ष की उम्र में मौत हुई. नस्लवादी मैनसन ने के दशक में भय और असुरक्षा की कहानियां सुना कर मैनसन फॅमिली की स्थापना की, इसने एक विचारधारा को फैलाया जो कहती थी:
- देश में अश्वेत बढ़ते जा रहे हैं.
- श्वेत वर्ग के नागरिकों का वर्चस्व ख़त्म हो रहा है.
- आने वाले समय में देश पर अश्वेत राज करेंगे.
- श्वेत वर्ग के लोग ही असली इसाई हैं.
- मैनसन श्वेत वर्ग के लोगों का मसीहा है.
इसी प्रकार के अनेक भ्रांतियों की वजह से श्वेत लोगों का एक वर्ग इसके अनुयायी हो गए, और इस विचारधारा के लोगों को उसने मैनसन फॅमिली नाम दिया.
अश्वेत के खिलाफ श्वेत नागरिकों को इसने इस हद तक भड़काया की इस तथाकथित फॅमिली (परिवार) ने हत्याएं आरम्भ कर दी, १९६९ में इस परिवार ने कई हत्याएं की जिसमें प्रमुख थी शेरेन टेट नामक उस समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री और अन्य ५ लोगों की हत्या कर दी, हत्या के समय अभिनेत्री टेट ८ महीने का गर्भ धारण की थी.
इस हत्या के पश्चात् चार्ल्स मैनसन सहित परिवार के अनेक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया.
लंबे ट्रायल के बाद, मैनसन और मैनसन परिवार के ४ सदस्यों को मौत की सजा सुनाई, मैनसन ने अपना सर मूंड कर पत्रकारों से कहा, “मैं शैतान हूँ, और शैतान हमेशा गंजा होता है”. मौत की सजा को बाद में कैलिफ़ोर्निया संविधान के अनुसार उम्र कैद में बदल दिया गया. मैनसन की विचारधारा अभी भी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुई है, आज भी अमेरिका में इस विचारधारा को मानने वाले निओ नाज़ी वाइट सुप्रमिस्ट मिल जाते है, पर इनकी संख्या बहुत ही कम है. अमेरिकी न्यायपालिका और सख्त कानून, तत्वरित कार्यवाही ने इस विचारधारा को बढ़ने से रोक दिया.
अब बात भारत की:
१९९० के दशक में एक विचारधारा ने जन्म लिया, जिसके अनुसार, हिन्दू प्रधान है, मुस्लिम एवं अन्य धर्म के लोग देश पर कब्जा कर रहे हैं, यदि हिन्दू नहीं जागे तो देश में उनके लिए स्थान नहीं बचेगा. जिसका परिणाम:
- १९९० के दशक में इस अनेकों दंगे
- इस विचारधारा के समर्थकों द्वारा मंदिर-मस्जिद विवाद, जिसके परिणाम स्वरुप हजारों लोगों की मौत
- १९९९ में ग्रैहम स्टेंस नामक पादरी की उसके २ मासूम बच्चों सहित जला कर हत्या
- २००२ में गुजरात में भीषण दंगे, जिसमे हजारों हिन्दू-मुस्लिमों की मौत. अस्पष्ट खबरों के अनुसार गर्भवती महिला का पेट चीर कर अजात शिशु को मारा
- एवं एक नए युग की शुरुआत जिसमें इंसान और इंसानियत से अधिक गाय को महत्त्व
- गाय के नाम पर इंसानों की पीट पीट कर हत्याएं.
- इस विचारधारा के विरोध का परिणाम, गालियाँ धमकियां, और हमले
- नजीब जैसे युवाओं का अभाविप के विरोध के पश्चात गायब हो जाना
वैसे तो इस विचारधारा का जन्म आज़ादी के पहले ही हो चुका था, इसी विचारधारा ने महात्मा गांधी की हत्या कराई, मगर भारत की न्यायापलिया कमजोर जिसने कोई ऐसा फैसला नहीं लिया जिससे इस ताकतों को बढ़ावा मिला और लोकतंत्र इतना कमजोर की इन ताकतों का देश पर शासन हो गया.
पर उम्मीद पर दुनिया कायम है, आशा है भारतीय गणतंत्र एक दिन इतना मजबूत होगा जो संविधान की मूल भावना को स्थापित करेगा.
जय हिन्द.
Although this phenomena is spreading but a bigger portion of Indian public is believing the thoughts of Mahatma Gandhi and they think in the way of justice to Mankind, therefore early or late INDIA will adopt secularism and socialism.
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