अलविदा संता-बंता, आप याद आओगे

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दशकों से संता-बंता के चुटकुले पढ़ सुन पर बड़े होने के बाद, जब संता-बंता के चुटकुले गायब होते और नए किरदारों को जगह लेते देख मिश्रित प्रतिक्रिया होती है, जहाँ एक नयी ताजगी का एहसास होता है वहीँ बचपन के साथी के बिछड़ने का दुःख. बाल नरेंद्र ने संता-बंता की जगह बहुत ही अल्प समय में ले ली.

बाल नरेंद्र के किरदार को प्रसिद्ध करने में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है, ट्विटर और फेसबुक के माध्यम महीनों नहीं दिनों में बाल नरेंद्र सबके दिलों में घर कर गया. अब जब इतना आप पढ़ ही चुके है तो कुछ बाल नरेंद्र के कारनामे भी पढ़ लीजिये

  • टीचर “ठण्ड कब आती है?” #बाल_नरेंद्र “जब धरती माँ फ्रीज़ का दरवाज़ा बंद करना भूल जाती है”
  • टीचर~दुनिया में पोस्टमैन तो होते हैं लेकिन “पोस्ट-वुमेन” क्यों नहीं? #बाल_नरेन्द्र ~क्योकि Women एक ही डिलिवरी में 9 महीने लगा देती है
  • #Newton : #एप्पल क्यों गिरा ? #बाल_नरेंद्र : धरती माँ को भूख लगी थी,,, करवाचौथ का व्रत रखा था सुबह से न!!
  • टीचर :- मुर्गियो की टांगे छोटी क्यु होती है. #बाल_नरेंद्र का असरदार जवाब मेडम अगर मुर्गियो की टांगे लम्बी होती तो अंडे टुट जाते ना .
  • एक बार #बाल_नरेन्द्र उड़ते उड़ते गिर पड़े और मोहनजोदड़ो की सभ्यता समाप्त हो गई।
  • #बाल_नरेन्द्र से एक बार गुल्लक गिर कर फूट गयी, उन पैसो से एक स्मारक बना जिसे अब स्विस बैंक के नाम से जाना जाता है
  • एक बार #बाल_नरेन्द्र ने पावडर लिया था अपने दातोँ को मजबूत करने के लिए आज वो पावडर अम्बुजा सिमेन्ट के नाम से जाना जाता है ।
  • #बाल_नरेंद्र ने पीसा की मीनार के उपर हाथ रख दिया तब से वो एक तरफ झुकती जा रही है

कुछ लोगों ने बाल नरेंद्र को राजनितिक व्यंग के लिए भी इस्तेमाल लिया… पढ़िए कुछ उदाहरण

इस पर तो किसी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही निशाना बनाया है

  • बाल नरेंद्र की ईमानदारी के किस्से देश याद करेगा
    वो पुरी सेलेरी दान करते है।

फिर अपने गरीबी वाला रहन सहन जनता के पैसो से करते है, जैसे डायर का चश्मा मात्र 3 लाख रुपये का
मशरूम की भाजी मात्र 40 हजार रुपये किलो वाली, काजू के आटे की रोटी, करोड़ो के कपड़े।

राजनितिक या गैर राजनितिक, मन को गुदगुदाने वाले बाल नरेंद्र का चरित्र चित्रण में काफी साहित्यिक प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया  है सोशल मीडिया पर :

 

बहुत कम लोगो को ये ज्ञात है कि
भीम के गदा कोच बाल नरेंद्र ही थे

बाल नरेन्द्र अपना लंच बॉक्स खाने के बाद बाकी बच्चो के लंच बॉक्स ये कहकर छुपा देता था की ना खाऊंगा ना खाने दूंगा !

वो बाल नरेंद्र ही थे जिनने पहली बार निबू पानी पी लिए थे तो पाकीस्तान की चाय फट गयीँ ।

बचपन में बाल मोदी की जो किताब गुम हुई थी वही अब विकिपीडिया के नाम से मशहूर है

 

बाल नरेंद्र को बचपन से उधघाटन का बहुत शौक था जिस अस्पताल मे वो पैदा हुए उसका उधघाटन भी उन्होने ने ही किया, कुछ और चुटकुले बाल नरेंद्र पर

 

  • बाल नरेन्द्र के पैर सुदामा ने अपने आँसूओं से धोये थे.. उस दिन ‘मित्र’ शब्द की खोज हुई थी
  • जब बाल नरेंद्र पैदा हुए तो आते ही नर्स से कहा-“देवियो और सज्जनो मै भी नर्स बनना चाहता था “
  • बाल नरेंद्र मिस्र जाकर अपने पत्थर के खिलौने छोड़ आया था। आज उन्हे लोग पिरामिड कहते हैं
  • बाल नरेन्द्र पांच वर्ष की उम्र घर के मुखिया का चुनाव जीत गये थे
  • पहले एवरेस्ट फतह करने वाले एडमंड हिलेरी जब एवरेस्ट पर पहुंचे तो बाल नरेंद्र वहाँ पहले से ही बैठे चाय बना रहे थे ।
  • बाल नरेंद्र की लीलाओ के आगे तो भगवान श्री कृष्ण भी फीके है।
  • बाल नरेंद्र ने देश की हालत वैसे करदी है जैसे
    श्री कृष्ण नहाती हुई गोपियों के पकड़े लेकर पेड़ पर चढ़ गए थे, वैसी ही
  • पूरे देश मे एक मात्र बाल नरेन्द्र ही है जिसने चाय बेची थी
  • बाल नरेंद्र की वाकई एक बहुत बड़ी
    उपलब्धि है वो जिसके पैर छुए
    आशीर्वाद ले ले वो पूरा बर्बाद हो जाता है

बेचारे संता-बंता, नए जमाने के साथ टिके रहते, छोटे छोटे १४० अक्षरों के चुटकुले लाते रहते तो बेचारे काम से हाथ तो न धोते. मगर चाहे कुछ भी हो, बाल नरेंद्र ने हास्य की दुनिया में एक ताजगी तो ला दी, कम से कम हमारे व्यस्तता और थकान भरे जीवन में हंसी की एक फुहार तो ला दी.

नोट: संता-बंता की तरह ही #बाल_नरेन्द्र केवल एक काल्पनिक किरदार है, #बाल_नरेन्द्र का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से सम्बन्ध केवल संयोग मात्र है और उसकी जिम्मेदारी इस लेखक की कदापि नहीं है.

 

3 comments

  1. Good one

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  2. Krishna Kant Awasthi · · Reply

    excellent Bal Narendra became my favorite.

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