मोहनदास करमचंद गाँधी मात्र एक नाम नहीं बल्कि एकता, अहिंसा एवं स्वाभिमान की विचारधारा का प्रतिक है, इसीलिए इन्हें गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने महात्मा एवं नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने राष्ट्रपिता की उपाधि से सम्मानित किया.
ये एकविडंबना ही है की अहिंसा के पुजारी एवं प्रचारक महात्मा गाँधी की नृशंस हत्या गाँधी-बुद्ध के देश में भारत के ही नागरिकों ने कर दी. आज से लगभग ६९ वर्ष पूर्व चंद लोगों ने महात्मा गाँधी की गोली मार कर हत्या कर दी. कौन थे ये लोग? इनका मकसद क्या था? इनकी विचारधारा क्या थी? भारत की स्वतंत्रता में इनका क्या योगदान था? इनके पीछे कौन लोग थे? इतिहास के पन्नों से इनका उत्तर खोजने का एक प्रयत्न है यह ब्लॉग…
भारत की स्वतंत्रता के मात्र ५.५ माह पश्चात् महात्मा गाँधी की हत्या कर दी गयी, हत्या से चंद दिन पूर्व २० जनवरी १९४८ को भी गाँधी की हत्या का प्रयास किया गया, मगर वह बम विस्फोट गाँधी के प्राण लेने में असमर्थ रहा.
कुछ तथ्य इस घटना के और इस घटना से जुड़े लोगों के विषय में:
सरदार वल्लभभाई पटेल ने राष्ट्रपिता की हत्या के पश्चात् राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबन्ध लगाते समय इसका एक कारण ये बताया था की जब सम्पूर्ण विश्व गाँधी की हत्या पर शोकाकुल था तब मात्र आरएसएस ही इसपर प्रसन्न हो कर मिठाइयाँ बाँट रहा था.
http://www.frontline.in/static/html/fl2701/stories/19930326052.htm
यही नहीं, सरदार के स्वयं के शब्दों में:
“The information received by the Government of India shows that the activities carried on in various forms and ways by the people associated with the RSS tend to be anti national and often subversive and violent and that persistent attempts are being made by the RSS to revive an atmosphere in the country which was productive of such disastrous consequences in the past.”
http://www.thehindu.com/mag/2004/09/26/stories/2004092600280300.htm
महात्मा गाँधी की हत्या के कुछ समय पश्चात् आरएसएस के लोगों द्वारा भारतीय राष्ट्रध्वज को जगह जगह पैरों तले कुचला इस पर पंडित नेहरु ने फरवरी २४, १९४८ के भाषण में कहा: कुछ स्थानों पर आरएसएस के लोगों द्वारा राष्ट्रध्वज का अपमान किया गया, उन्हें अच्छी तरह मालूम है वो स्वयं को गद्दार साबित कर रहे थे.
इंडियन एक्सप्रेस के फरवरी ८, १९४८ के अनुसार, देशभर में राष्ट्रिय नेताओं की हत्या की साजिश आरएसएस द्वारा रची गयी थी, बढ़ी मात्र में असला-बारूद पकडे जाने एवं एवं इनके कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी से ये साजिश कार्यान्वित नहीं हो सकी.
फरवरी ६, १९४८ के इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दामोदर सावरकर के नित्रित्व वाली हिन्दू महासभा ने महात्मा गाँधी की हत्या की साजिश रची थे, एवं सभी हथियार, सुविधाएँ मुहैया करायी थी.
आज जो आरएसएस भारतीय सरकार एवं राजनीती के हर अंग में सम्मिलित है उसपर से प्रतिबंध इसी शर्त पर हटाया गया था की वो किसी राजनितिक गतिविधियों में भाग नहीं लेगी. परन्तु आरएसएस ने समय के साथ साथ जनसंघ एवं भाजपा नाम के मुखौटों के माध्यम से अपनी राजनितिक महत्वकांक्षाओं को पूर्ति की, वस्तुतः आज भाजपा कोई और बल्कि आरएसएस का प्रतिबिंब मात्र है.
आरएसएस वो संगठन है जिसे पंडित नेहरु एवं सरदार पटेल ने महात्मा गाँधी की हत्या के लिए जिम्मेदार माना और प्रतिबंधित किया
फरवरी ७ १९४८ के इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के अनुसार गाँधी की हत्यारे नाथूराम गोडसे को आरएसएस के लोगों ने ही बंदूक दी थी.
सरदार पटेल के अनुसार हिन्दू महासभा द्वारा गाँधी ही नहीं नेहरु की हत्या की भी साजिश की गयी थी जो की असफल हो गई.
सम्पूर्ण विश्व में महत्मा गाँधी की हत्या पर शोक मनाया गया था, सम्पूर्ण विश्व आरएसएस एवं हिन्दू महासभा के इस कृत्य पर हतप्रभ एवं शोकाकुल था.
१९६५ में गठित कमीशन में न्यायाधीश जीवनदास कपूर द्वारा इस हत्याकांड की पुनः जाँच की गयी. सभी तथ्यों की जांच एवं गवाहों के कथनों के पश्चात् इस कमिशन ने पाया की महात्मा गाँधी की हत्या की साजिश सावरकर एवं आरएसएस ने की थी. इस कमीशन अनेकों ऐसे तथ्य मिले जो की ट्रायल कोर्ट को उपलब्ध नहीं थे.
सावरकर के करीबी ए पी कसार एवं जी वी दामले ने इस कमीशन के समक्ष बयान दिए, जो ट्रायल कोर्ट के समक्ष नहीं दिए गए थे. चूँकि इस समय तक सावरकर की मृत्यु हो चुकी थी और इन दोनों को किसी प्रकार का भय नहीं था इसीलिए ये कमीशन के समक्ष बयान देने की हिम्मत जुटा पाए. इस कमीशन की जांच के अनुसार गोडसे एवं आप्टे केवल जरिया थे इस हत्याकांड में, दिमाग तो सावरकर का था. गोपाल गोडसे ने भी कहा है की नाथूराम गोडसे ने आरएसएस कभी नहीं छोड़ी मगर सावरकर एवं आरएसएस को बचाने के लिए झूठ बोला था.
“Nathuram, Dattatreya & I, all were in RSS. We grew up in RSS & not our homes. It was family. Nathuram said in his statement that he left RSS coz Golwalkar & RSS were in trouble after the murder.”
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी की आजाद भारत में पहला आतंकवादी हमला ३० जनवरी १९४८ में गाँधी जी हत्या कर हुआ था और इस आतंकवादी को आरएसएस एवं हिन्दू महासभा का पूर्ण सरक्षण प्राप्त था.
एक ओर भगतसिंह थे जिन्होंने अंग्रेजों से माफ़ी मांगने के बजाय देश के लिए शहीद होना उचित समझा और दूसरी ओर सावरकर जिन्होंने न केवल महात्मा गाँधी की हत्या को अंजाम दिया बल्कि अंग्रेजों से अपनी जान बचाने के लिए क्षमा याचना की, और ये शर्मनाक ही है की भाजपा ने इन सावरकर की पोर्टेट संसद के सेंट्रल हाल में गाँधी जी की प्रतिमा के समक्ष लगा दी.
महात्मा गाँधी को मार कर जब ये गाँधी की विचारधारा का अंत ना कर पाए तो ये गाँधी के हत्यारों का महिमामंडन करने लगे, इसी क्रम में सावरकर को “वीर” बताने का प्रयत्न हुआ और अब गोडसे के मंदिर बनाने के प्रयत्न किया जा रहे, गोडसे के महिमामंडन करती पुस्तकें लिखी जा रही है, इनका भाजपा नेता विमोचन कर रहे है.
गाँधी को गोडसे ने मारा जरूर मगर वह एक हथियार मात्र था, हाथ उस विचारधारा का था जो आज भी देश की शांति और एकजुटता के लिए बहुत बड़ा खतरा है, कहीं धर्म तो कहीं मंदिर-मस्जिद, तो कहीं गाय के नाम पर एक दुसरे से लड़ा रहा है.
मगर यह राष्ट्र गाँधी का है, यहाँ गाँधी की विचारधारा ही सदैव विद्यमान रहेगी. गाँधी की विचारधारा पर उन तत्वों द्वारा हमला किया जा रहा है जिनका की भारत की स्वतंत्रता एवं निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा ही, ये वो लोग है जिन्होंने हमेशा भारत के विरुद्ध ही कार्य किया है. पर विजय सत्य की ही होगी…
Superb!
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Thank you Sir. Appreciate your comment and read.
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well written and well researched
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Glad that you liked it, thank you.
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Excellent Blog
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Thank you sir
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Very nice bro.
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Very nice bro. Well done
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you took us to that era..superb article with archives..
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I was a member of RSS and shakes attended by me. In shakha not only we were taught by Prachark how to use lathi. And character assassination of Nehru was rampant.
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भाई RSS वाले लाठी चलाना सिखाते हैं तो क्या गलत है ? अपनी आत्मरक्षा करना सिखाते हैं। लोग judo कराटे सीखते हैं तो क्या वो भी गलत है ?
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Very nice hame Gandhi ji pr garv hai jai hind
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Thank you
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Nice result of this research, at present RSS is trying for character assassination of Mahatma Gandhi and Pt. Jawahar Lal Nehru. This should be apposed in public.
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ये गांधी और बुद्ध का देश है…..वाह भाई।
बस गांधी और बुद्ध का ही देश है, चक्रवर्ती राजा भरत का देश नही है जिन्होंने पूरी दुनिया पर राज किया जिनकी वजह से इस देश का नाम भारत है। उन्होंने युद्ध किये बिना ही पूरी दुनिया को जीत लिया था क्या ?
गुरु चाणक्य का देश नही है जिन्होंने मुर्ख और निकम्मे शासक को उखाड़ फेंकने के लिए चन्द्रगुप्त को राजा बनाया और युद्ध की कला सिखाई। आज भी हम चाणक्य नीति और अर्थशास्त्र पढ़ते हैं।
बस, गांधी और बुद्ध का देश है कि कोई एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा भी आगे कर दो।
अहिंसा परमो धर्मः का गाना बजाते रहो और सारा देश भले ही गुलाम हो जाये, देश के टुकड़े हो जाएँ, लोग बेघर हो जाएँ, औरतों बच्चियों के साथ बलात्कार होते रहें, लेकिन अहिंसा का साथ न छूटे। अहिंसा अहिंसा करते करते हम कृष्ण की गीता को भूल गए। कृष्ण ने गीता में क्या कहा है ? यही कहा है की धर्म और देश की रक्षा के लिए युद्ध करना कोई हिंसा नही है। लेकिन हम मुर्ख लोग अहिंसा परमो धर्मः को ही सीने से चिपकाये बैठे हैं।
गांधी के योगदान की बातें करते हो ये भी तो बताओ कि बटवारे का जिम्मेदार कौन था ? गांधी और नेहरू के घर से किसका क्या गया ? इनका तो कुछ भी नही बिगड़ा। जो लोग बेघर हो गए उनकी भरपाई कौन करेगा ? जो रातों रात सब कुछ छीनकर भिखारी बना दिए गए, जिनकी आँखों के सामने ही उनकी पुत्री, बीवी आदि का बलात्कार हुआ उनसे जाके पूछो ?
भाई गांधी को किसने मारा या मरवाया ये कोई विवाद का विषय नही है। ये सब राजनीति है। अगर आपको लगता है ये सब RSS का किया हुआ है तो अब तक की सरकारें क्यू शांत बैठी हुई हैं ? कोई action क्यू नही लिया गया ????
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भाई आपने इतनी मेहनत की blog लिखने में अच्छा प्रयास है लेकिन मैं कुछ बातें और भी जानना चाहता हूँ
1. भगत सिंह जब जेल में थे तब उनका case महात्मा गांधी, भीमराव अम्बेडकर जैसे बड़े बड़े वकीलों ने क्यू नही लड़ा ? भगत सिंह ने असेंबली में बम फेंका और स्वयं गिरफ्तारी दी फिर भी किसी ने उनका केस नही लड़ा और उनको फांसी दी गयी ? किसी ने कोई विरोध नही किया ????
2. लाल बहादुर शास्त्री इतने ईमानदार नेता थे उनकी मृत्यु की file क्यू छुपा कर रखी गयी है ?
3. सुभाष चन्द्र बोस की file क्यू नही खुली अभी तक ? उनको किसने मरवाया या गायब करवाया ?
ये बात देश की जनता को क्यू नही बताई गयी कभी भी ?
4. चन्द्रशेखर आजाद को किसने मरवाया ? किसने मुखबिरी की थी ? उस आदमी को आजाद भारत की सरकार ने क्या सजा दी ?
5. पण्डित दीन दयाल उपाध्याय की रहस्मयी हत्या हो गयी किसी को पता ही न चला। आखिर कैसे हुआ ये सब ?
ये सब बातें भी लोगों को बताओ भाई।
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